बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।
तात तात आगी असन
हवा बोहावत हे
कोयली मइना सुआ परेवा
नइ गुनगुनावत हे
छानही खपरा भिथिया भूंइया
जमो गुंगुवावत हे
कुकरी बोकरी गरवा बइला
बछरू नरियावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।
गली खोल गांव सहर
घर सिनिवावत हे
नल नहर नदिया समुंदर
तरिया सुखावत हे
बिहनिया मझनिया रथिया ले
लइका चिल्लावत हे
कूलर पंखा एसी फिरिज
सबला भावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।
सुरूज देव अपन ताकत ल
सबला बतावत हे
घर के बाहिर भीतरी म
पसीना बोहावत हे
घाम म झन किंजरबे संगी
लू लग जावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।
पीपर बर लीम आमा के
छांव सुहावत हे
मरकी के ठंडा पानी ले
पियास बुझावत हे
आमा चटनी बोरे बासी
बड़ मिठावत हे
रद्दा ह अंगरा के होगे
घेंच सुखावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।
दिनेश रोहित चतुर्वेदी
खोखरा, जांजगीर
बहुत घाम जनावत हे। दिनेश जी। बहुत बहुत बधाई हो। कविता बर।
Dhnyavad dev bhai
बहुत अच्छा रचना हे,घाम जनावत हे,बधाई हो
Dhanyvad bijendra bhaiya
Bhahut badiya likhe has bhai
Badhai
सुग्घर रचना भाई….बधाई हो
Sunil bhaiya l dhanyvad …
Jai johar
आपके रचना बहुत सुघ्घर लागिस दिनेश जी बधाई हो |
Bahut khub….
badhai bhai….
Ab gham sirage bhai barsat bar kavita likh
badiya…
आपके रचना सुघ्घर लागिस दिनेश भाई बधाई हो
सुग्घर रचना दिनेश जी
DHNYAVAD AJAY BHAIYA…..JAI JOHAR
बहुत सुग्घर कविता लिखे हस संगवारी